रायपुर। छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओ पी चौधरी ने तेरह विभागों में बजट की स्वीकृत राशि के कम खर्च को लेकर चिंता जताई है। वित्त मंत्र ने कैबिनेट के पाँच मंत्रियों को पत्र लिख कर आग्रह किया है कि, वे बजट में आबंटित पूँजीगत व्यय को खर्च करें। वित्त मंत्री ओपी ने13 विभागों में लंबित देयकों के भुगतान 30 सितंबर 2024 तक करने का आग्रह भी संबंधित मंत्रियों से किया गया है।
बता दें कि यह छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार है जबकि वित्त मंत्री ने कैबिनेट के साथियों से आग्रह किया हो कि, पैसे खर्च करें। इस पत्र से यह भी स्थापित हो रहा है कि, सरकार के पास विकास योजना और निर्माण कार्यों के लिए राशि की कोई कमी नहीं है।
इन मंत्रियों को लिखा पत्र
वित्त मंत्री ओपी ने मंत्री विजय शर्मा,रामविचार नेताम,केदार कश्यप,अरुण साव,और श्याम बिहारी जायसवाल को पत्र लिखा हैं। मंत्री चौधरी ने जिन विभागों के आबंटित बजट के पूँजीगत व्यय के बेहद कम होने को लेकर चिंता ज़ाहिर की है उनमें स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग,लोक निर्माण विभाग,पीएचई विभाग,नगरीय प्रशासन विभाग,विधि और विधायी कार्य विभाग,जल संसाधन विभाग, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, आदिम जाति विकास विभाग,पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास विभाग और कृषि विकास तथा किसान कल्याण विभाग,पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और गृह विभाग शामिल है।
जानें पत्र क्यों लिखा
बजट के पूँजीगत व्यय का अर्थ होता है खर्च का विषय। इस पत्र का अर्थ है कि, विभागों को बजट आबंटित है लेकिन जिस अनुपात में खर्च होना चाहिए वो खर्च ही नहीं हो रहा है। खर्च से आशय यूँ लीजिए कि,निर्माण कार्य।निर्माण कार्य के लिए बजट राशि स्वीकृत है, काम भी शुरु हो गए लेकिन राशि ही खर्च नहीं हो रही है।वित्त मंत्री ओपी ने पत्र में उल्लेख किया है -“वित्त विभाग द्वारा विभागों के लिए निर्धारित व्यय सीमा के अनुसार प्रथम छ माही में चालीस फ़ीसदी ( प्रथम तिमाही में 25 प्रतिशत और द्वितीय तिमाही में 15 प्रतिशत व्यय किया जाना है।विभाग में पूँजीगत व्यय तथा इसका नियमित पर्यवेक्षण किया जाना आवश्यक है। पूँजीगत व्यय अधिक होने से रोज़गारों का सृजन तथा अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में गुणात्मक प्रभाव पड़ता है।”
जो उचित खर्च हैं उसे करिए : वित्त मंत्री
वित्त मंत्री ओ पी चौधरी ने अपने पत्र में उल्लेखित किया है कि-“निर्माण कार्यों के लिखा निर्माण कंपनियों/ठेकेदारों के समय पर भुगतान करने से कार्यों की निर्धारित समयावधि में पूर्णता सुनिश्चित होती है। इससे कार्यों की गुणवत्ता बेहतर होती है और भविष्य के कार्यों की निविदा दरों में भी कमी आती है।अतः 31 जुलाई 2024 तक लंबित सभी नियमित देयको का भुगतान 30 सितंबर 2024 तक करने हेतु कृपया अपने अधीनस्थों को निर्देशित करने का कष्ट करें।”