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प्रत्येक हिंदू को, चाहे वह किसी भी जाति का हो, समान अधिकार प्राप्त हैं: Dr. Mohan bhagwat

कानपुर। संघ प्रमुख dr Mohan Bhagwat ने त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरे में निरालानगर स्थित वरेिंद्र अवस्थी उद्यान में लगने वाली शाखा में सायंकालीन प्रवास किया। उन्होंने पौधरोपण भी किया। वहां अर्थव अवस्थी व मौजूद बाल, युवा और प्रौद स्वयंसेवकों से कहा कि संघ कायों की ग्राही नहीं बल्कि दाता बनकर समाज के जन-जन तक पहुंचाएं। स्वयंसेवकों को कथा सुनाते हुए बताया कि एक पंडित जी को देवता से शंख मिला था, शंख की हर दूसरे दिन संख्या दोगुनी होती थी। पंडित जी के यहां अनगिनत शंख एकत्र हो गए पर उन्होंने किसी को दान नहीं किए। स्वयंसेवक संघ के सेवा कार्यों का निरंतर दान करता रहे तो शाखा का विस्तार होगा ही, साथ ही संध के विचार जन-जन तक पहुंचेगे।

शाखा का दायरा बढ़ाएं: शाखा में शिरकत के बाद भागवत ने सह बौद्धिक प्रमुख अनुपम दुबे के आवास पर जाकर शाखा टोलीसंग बैठक की। कहा कि संघ का दूसरा नाम समान हित में हिंदुओं को संगठित करने को लेकर जाना जाता है। रहखा समय से लगे और यहां के विचारों का जन-जन तक संचार कराएं, इस पर ध्यान देने की जरूरत है। संघ के विचार जप आम-जन तक पहुंचेंगे तो स्वयंसेवकों का काम कम होगा। यह सब अनुशासितणेकर करना है। कुशलक्षेम जानने के बाद कहा कि अपने कानों के जरिए खुद, परिवार, राष्ट्र के समक्ष आदर्श प्रस्तुत करें। इस मुहिम में सफल होने का मतलब संघ कार्यों की पूर्ति। इसके लिए शाखाओं के लगने का दायरा बढ़े। शताब्दी वर्ष में गांव-बस्ती, मोहल्ले और बहुखंडीय इमारतों के परिसर में शाखाएं सजें। धार्मिक और पारिवारिक उत्सव के जरिए हिन्दू वर्ग में पैठ बनाएं। इसमें सफल होने से समाज केहर तक्के संघका विचार पहुंचेगा और जब हर वर्ग में यह विचार प्रकाशित होगा तो जातीयविद्वेष की भावना जड़ से खत्म होगी। इससे परिवार, राष्ट्र और समाज नई ऊंचाइयों का मुकाम हासिल करेगा।

गांवों संग बस्ती में भी ले जाएंगे संघ का साहित्य

मोहन भागवत ने कहा कि शताब्दी वर्ष में संघ का साहित्य लेकर हम गांव गांव, बस्ती बस्ती जाएंगे। स्वयंसेवक समरसता के पवित्र संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का काम करेंगे। संघ दफ्तर की बैठक के दौरान भागवत ने कहा कि इस अंतराल में संघ ने सामाजिक विषमता को समाप्त करने की हानी है।

समता युक्त, शोषण मुक्त, जाति विद्वेष मुक्त भारत बनाना होगा और संघ को यह कार्य तेजी के साथ करना है। स्वयंसेवक का समरसता पूर्ण स्वभाव समाज का स्वभाव बने, इसके लिए सभी को एकजुट होकर तेजी से प्रयास करने की जरूरत है। वैसे भी संघ का काम हिंदुओं को संगठित करने का है। इस वजह से पंच परिवर्तन को लेकर भी काम कर रहे हैं। एक तरह से जी काम संघ कर रहा है वह समान का भी असली काम है। विश्व के प्राचीन देश होने के चलते समान में जातीय विद्वेष किसी प्रकार से स्वीकार न हो। पंच परिवर्तन की बात देश का हर नागरिक समझे और उसके तहत कर्तव्य करे।

भागवत ने कहा कि हमारा देश, यहां की बनी वस्तुएं, हमारी संस्कृति और हमारे संस्कार यह सभी समाज का स्वभाव बने तो भारत के विश्वगुरु बनने का सपना साकार ही नहीं बल्कि मूर्त रूप लेने में भी देर नहीं लगेगी। इससे पहले प्रांत के सामानिक समरसता प्रमुख रवि शंकर ने समरसता की गतिविधियों के बारे में भागवत के समक्ष चिंदुवार जानकारी रखी। बैठक में क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रांत प्रचारक श्रीराम, प्रांत संघचालक भवानी भीख, प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. अनुपम, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख राजेंद्र सिंह, सह प्रांत प्रचारक मुनीश सहित 21 जिलों के जिला समरसता प्रमुख और विभाग समरसता प्रमुख रहे।

भावी कर्णधार तो संघ कार्य जिम्मेदारी से करें

भागवत ने कार्यकर्ताओं की कतार में पास जाकर नाम और शिक्षा के बारे में जानकारी ली। कहा कि बाल स्वयसेक ही देश का भावी कर्णधार है। संघ कार्य और विचार के अलावा पंच परिवर्तन का संदेश जन-जन तक पहुंकार कोई कुछ कहता है तो उस दिशा में ध्यान न देकर अपने कार्य में लगे रहना है। बाधाएं भी आती है पर उनका धैर्य से सामना करना ही स्वयंसेवक की प्री बोर्ड परीक्षा है। भागवत शाम छह बजे वीरेंद्र अवस्थी स्मृति उद्यान, निरालानगर पहुंचे और वहा से 7.10 बजे निकलकर प्राप्त के सह बौद्धिक प्रमुख अनुपम दुबे के आवास पर जा शाखा टोली संग मंथन किया।

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