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Bjp Foundation day BJP का स्थापना दिवस पर छत्तीसगढ़ विशेष, बस्तर मतलब बलिराम कश्यप

बालमुकुंद शर्मा, रायपुर। आज 6 अप्रैल है पूरे देश सहित छत्तीसगढ़ में भी भाजपा का स्थापना दिवस (Bjp Foundation day) धूमधाम से मनाया जा रहा है।

1980 में बना भाजपा
1952 में बने जनसंघ ने अपना संघर्ष प्रारंभ किया, देश में 1975 में लगे आपातकाल से राजनीतिक परिदृश्य बदला, सभी राजनीतिक पार्टियों मिलकर जनता पार्टी बनाया और अपनी-अपनी पार्टी का विलय किया, उसमें जन संघ भी था।
1980 पहुंचते पहुंचते जनता पार्टी को सत्ता बाहर होना पड़ा, केंद्र की सरकार गिर गयी ।

6 अप्रैल 1980 अटल बिहारी वाजपेई, लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी ने मुंबई में राष्ट्रीय सम्मेलन कर भाजपा का गठन किया। अटल बिहारी वाजपेयी प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।

चाल चरित्र और चेहरा का नारा
चाल चरित्र और चेहरा
का स्लोगन लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं के माध्यम से जनता के पास गई और जन आधार बढ़ने लगी 1984 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 543 लोकसभा में से सिर्फ दो सीट पर जीत मिली, फिर भी संघर्ष जारी रहा, उसी का परिणाम है आज कई राज्यों में भाजपा की सरकार और केंद्र में 2014 से 2024 तक पूर्ण बहुमत की सरकार और आज एनडीए के सरकार का नेतृत्व भाजपा कर रही है।

छत्तीसगढ़
अटल बिहारी वाजपेई ने छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना 2000 में की, यहां की पहली सरकार कांग्रेस के नेतृत्व में बनी।
पहले विधानसभा चुनाव जो अक्टूबर नवंबर 2003 में हुए और दिसंबर 2003 में भाजपा की सरकार बनी, यह सरकार 15 वर्ष दिसंबर 2018 तक चली।
दिसंबर 2018 में भाजपा का सीट 15 सीट पर सीमित कर रह जाना पड़ा, कारण खासकर 2013 से 2018 तक भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार जमीन तक पहुंच गया कार्यकर्ता नाराज हुई, जनता त्राहिमाम त्राहिमाम करने लगी।

असली रंग सारंग ने दिया
छत्तीसगढ़ में भाजपा को मजबूत करने के लिए संभागीय संगठन मंत्री के रूप में नियुक्त भोपाल से स्वर्गीय गोविंद सारंग जो बाद में क्षेत्रीय संगठन महामंत्री भी बने, उन्होंने अपनी स्कूटर और बस में पूरे प्रदेश का दौरा कर भाजपा को गांव-गांव में मजबूत किया, बाद में श्रीमंत राजमाता सिंधिया ने एक जीप दी थी, जिसमें गोविंदा सारंग प्रदेश का दौरा करने लगे।

छत्तीसगढ़िया जनसंघियों ने भाजपा को मजबूत किया

छत्तीसगढ़ में भाजपा को मजबूत करने के लिए जनसंघ के संस्थापक नेता स्वर्गीय लखीराम अग्रवाल के साथ स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव, स्वर्गीय बलिराम कश्यप, स्वर्गीय मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा, भाजपा के पित्र पुरुष स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे के साथ छत्तीसगढ़ के प्रथम प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे नंदकुमार साय ने पार्टी को मजबूत करने के लिए अपना पूरा योगदान दिया और भाजपा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को पीछे करते हुए अपना स्थान बनाने में सफलता प्राप्त की।

आज गांव गांव में…
आज भाजपा का संगठन गांव-गांव में पहुंच चुका है
भाजपा की वर्तमान सदस्य संख्या जैसा कि बताया जाता है 12 करोड़ से ऊपर हो चुकी है,
लेकिन क्या भाजपा ने 2014 के बाद अपने 1980 में गठन के समय दिया गया स्लोगन, चाल चरित्र और चेहरा को छोड़ दिया है। कार्यकर्ताओं में जो देवतुल्य हैं और जिन्होंने जमीन पर जनसंघ से लेकर भाजपा तक मजबूत करने में योगदान दिया, उनकी भावनाएं और आत्मा भी यही बोल रही है।

बलिराम कश्यप ने बस्तर को बनाया भाजपा का गढ़

बलिराम कश्यप बस्तर इलाके में जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी की राजनीति को आधार प्रदान किया। 1990 में वे अविभाजित मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री भी रहे। माओवादियों से निरंतर विरोध के चलते उनके बेटे तानसेन कश्यप की सितंबर 2009 में गोली मारकर हत्या कर दी थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्टूबर 2023 को जगदलपुर की रैली में बस्तर के बलिराम कश्यप को अपना गुरु बताया था। यह चार बार के सांसद थे, आज सरकार में वन मंत्री केदार कश्यप इन्हीं के बेटे हैं। भाजपा बस्तर से विधानसभा चुनाव जीतती है तो बलिराम की तैयार जमीन का ही ये असर है।

दलबदल अब हो रहा है…स्थापित नेता किनारे किये गये

पहले भाजपा का संगठन दल बदल को महत्व नहीं देता था
लेकिन आज राजधानी नई दिल्ली से लेकर लगभग सभी राज्यों में दूसरी पार्टी के भ्रष्ट नेताओं को जिन्हें कभी जेल भेजने की धमकी दी जाती थी भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें भाजपा में न सिर्फ शामिल कर लिया गया बल्कि महत्वपूर्ण स्थान जैसे मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और अन्य पदों पर विराजमान भी कर दिया। इसकी नाराजगी दबे स्वर में छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिल रही है।
दिसंबर 2003 से लेकर 2018 तक बनी सरकार देश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह थे जिसके संगठन के प्रभारी सौदान सिंह थे, कार्यकर्ताओं में ही चर्चा का विषय धीरे-धीरे इन लोगों ने न सिर्फ लखीराम अग्रवाल को किनारे किया बल्कि प्रदेश के सभी प्रभावशाली नेता, चाहे वो आदिवासी हो, चाहे साहू समाज के हो या चाहे कुर्मी समाज के हो, उन्हें किनारे करते गये, कुछ को किनारे कर दिए कुछ को उन्होंने सफलतापूर्वक पार्टी से बाहर निकाल दिया क्योंकि सत्ता और संगठन पर कुछ ही लोगों कस नियंत्रण रहा था, जो लगभग आज भी जारी है।
गिनती के नेताओं का कब्जा : कार्यकर्ता नाराज…
अब तो छत्तीसगढ़ में खास कर देवतुल्य कार्यकर्ता यह महसूस कर रहे हैं कि ऐसे कुछ गिनती के लोग पार्टी में कब्जा कर चुका हैं, जो सरकार और संगठन में ताकतवर पदों बैठे हुए लोगों को प्रभावित कर सर्वेसर्वा बन चुके हैं इसकी भी टीस कार्यकर्ताओं में है, समय आ गया है सरकार आती जाती रहती है संगठन जिंदा रहना चाहिए, उसकी विचारधारा जिंदा रहना चाहिए इसके लिए फिर से एक बार भाजपा संगठन को मूल स्वरूप में लाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है हो सकता है इस विचार से कुछ लोग सहमत ना हो, लेकिन यहां आज कटु सत्य है।

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