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प्रधानमंत्री ने Bastar steel plant पर नहीं दी गारंटी, बेचे जाने की खबर से जनता निराश : रेखचंद जैन

वनोपज और रोजगार समेत तमाम मामलो में झूठ का पुलिंदा छोड़ गए मोदी

जगदलपुर। Bastar steel plant  जगदलपुर के लालबाग मैदान में मंगलवार को आयोजित भाजपा की परिवर्तन यात्रा पूरी तरह से फ़्लॉप रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुनने पहुंचे लोगों को उनकी बात सुनकर घोर निराशा हुई है। बस्तरवासियों समेत युवकों को नगरनार स्टील प्लांट न बेचने की गारंटी प्रधानमंत्री नहीं दे पाए। इससे साबित होता है कि वे कितने मजबूर हैं ? यह कहना है संसदीय सचिव व जगदलपुर विधायक रेखचंद जैन का।

मीडिया को जारी एक बयान में श्री जैन ने कहा है कि वनोपज, रोजगार और तमाम बिंदुओं जिन पर भी प्रधानमंत्री ने संबोधन दिया, वह झूठ का पुलिंदा साबित हुआ है। प्रधानमंत्री ने संबोधन में यह तो कहा कि नगरनार स्टील प्लांट Bastar steel plant पर आदिवासियों का अधिकार है लेकिन वे बस्तर की 35 लाख जनता को स्टील प्लांट न बेचने की गारंटी नहीं दे पाए। साल 2023 में नगरनार स्टील प्लांट का संचालन कराने के लिए जो बोली आहुत की गई है, उसके बोलीदारों में प्रधानमंत्री श्री मोदी के अभिन्न मित्र की कंपनी भी शामिल है। श्री मोदी को जनता के सामने स्पष्ट करना था कि नगरनार स्टील प्लांट को न तो किसी निजी हाथ में सौंपा जाएगा और न ही इसका विनिवेशीकरण किया जाएगा। सच्चाई तो यह है कि स्टील प्लांट के निजीकरण व विनिवेशीकरण की जनक भाजपा है और इन दोनों की नीतियों को श्री मोदी के कार्यकाल में विस्तार दिया गया है।

Bastar steel plant  यही नहीं, नगरनार स्टील प्लांट से उत्पन्न होने वाले रोजगार को लेकर भी प्रधानमंत्री गलत आंकड़े परोसते रहे। जहां एक ओर वे अंचल के हजारों-लाखों युवकों को स्टील प्लांट से रोजगार मिलने का सब्जबाग दिखाते रहे वहीं दूसरी ओर इस प्लांट में नौकरी के लिए जूझ रही नगरनार क्षेत्र की बेटियों के समर्थन में कुछ भी नहीं कहा जबकि एनएमडीसी के द्वारा ऐसा किया जाना संभव है। संयंत्र स्थापना के लिए भूमि देने वाले परिवारों की बेटियों के प्रति भाजपा एवं प्रधानमंत्री का यह नजरिया लोगों को काफी चुभ रहा है।

श्री जैन ने प्रधानमंत्री पर वनोपजों की खरीदी मामले में भी झूठ बोलने का आरोप लगाया है। विधायक ने कहा है कि प्रधानमंत्री को जनता को यह बताना था कि छत्तीसगढ़ में 15 साल तक शासन करने वाली भाजपा तथा मुख्यमंत्री डा रमन सिंह के कार्यकाल में कुल कितने प्रकार के वनोपजों की खरीदी की जा रही थी ? सच तो यह है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 65 से अधिक वनोपजों की खरीदी सुनिश्चित कर बस्तर समेत राज्य के वनांचलों में रहने वाले लाखों आदिवासी परिवारों की बड़ी सहायता की है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी को जनता के सामने यह तथ्य रखना था कि 1991 में अविभाजित माध्यप्रदेश के समय जब तत्कालीन राज्यपाल कुंवर महमूद अली खां जगदलपुर आए थे तो एयरपोर्ट में एक भाजपा नेता को आदिवासियों का शोषक बताकर उसे नमक के बदले चिरौजी खरीदने वाला बताया था। पूरे भाषण के दौरान प्रधानमंत्री गोल-गोल बातें करते रहे, जिससे सभा में पहुंची जनता स्वयं को ठगा हुआ महसूस करती रही।

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